छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वप्न द्रष्टा को शत-शत नमन

 छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वप्न द्रष्टा को शत-शत नमन

भिलाई-3 / डॉ खूबचंद बघेल शास, महाविद्यालय भिलाई-3 में छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वप्न द्रष्टा ‘डॉ खूबचंद बघेल’ जी की 125वीं जयंती हर्षोल्लास से मनाया गया। महाविद्यालय के प्र. प्राचार्य डॉ अमृता कस्तूरे द्वारा महाविद्यालय परिसर में स्थित डॉ खूबचंद बघेल जी के प्रतिमा पर तिलक, वंदन एवं माल्यार्पण कर नमन किया गया। महाविद्यालय के समस्त अधिकारी, कर्मचारी गण, उपस्थित विद्यार्थियों, एनसीसी कैडेट्स एवं एनएसएस स्वयंसेवक द्वारा डॉक्टर बघेल जी के छायाचित्र पर पुष्पार्पण किया गया।डॉ खूबचंद बघेल जी के जीवनी, सामाजिक आंदोलनो, राजनीतिक भुमिकाओं, साहित्यिक कृतियों पर डॉ श्रीकांत प्रधान द्वारा प्रकाश डाला गया। सहायक प्राध्यापक डॉ शैलेन्द्र ठाकुर द्वारा डॉ खूबचंद बघेल जी पर स्वरचित कविता ‘कर्मयोगी -धर्मयोगी डॉ खूबचंद जी कहलाये, छ.ग. के स्वाभिमान को जन-मन तक फैलाये’ का पाठ करने के साथ ही छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वप्न द्रष्टा,छत्तीसगढ़ के सामाजिक -आर्थिक -राजनीतिक विचारक, साहित्यकार, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के रूप में उनकी भूमिकाओं से सबको परिचय कराया गया।अपने उद्बोधन में महाविद्यालय के प्र. प्राचार्य डॉ अमृता कस्तूरे ने डॉ खूबचंद बघेल जी को नमन करते हुए कहा कि “धन्य है यहां की माटी जहां डॉ खूबचंद बघेल, स्वामी आत्मानंद, पंडित सुंदरलाल शर्मा जैसे महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और सामाजिक सुधारकों नें जन्म लिया। अंग्रेजों के शोषण एवं अत्याचार से त्रस्त जनता एक वक्त की रोटी के बारे में सोच नहीं पा रहा था तब डॉ बघेल जी ने छत्तीसगढ़ के अस्मिता को पहचान लिया और अपना संघर्ष प्रारंभ कर दिया, जिनके जीवन का हर पल छत्तीसगढ़ के अस्मिता एवं सुचिता के लिए न्योछावर था।” प्राचार्य द्वारा डॉक्टर खूबचंद बघेल शोधपीठ प्रारंभ करने हेतु भगीरथ प्रयास करने की आवश्यकता पर बोल दिया ताकि छत्तीसगढ़ के विकास, साहित्य, सामाजिक सुधारो पर शोध करने हेतु यहां के शोधकर्ताओं को एक मंच प्राप्त हो सके। क्रीड़ाधिकारी डॉ रमेश कुमार त्रिपाठी द्वारा खूबचंद बघेल जी के प्रतिमा स्थल के आसपास सौंदर्यीकरण करने एवं उनके जीवनी को दर्शाने वाली सूचना पट्टिका भी लगाने का सुझाव दिया गया।कार्यक्रम में महाविद्यालय के समस्त अधिकारी कर्मचारी विद्यार्थी एनसीसी कैडेट्स एवं नस स्वयंसेवक भी उपस्थित थे।