ओशो- क्या गंगा पाप से मुक्त कर सकती है? “या हमने कहा कि आदमी पाप करे और गंगा में स्नान कर ले और मुक्त हो जाएगा। बिलकुल पागलपन मालूम होता है। क्योंकि इसने हत्या की है, चोरी की है, बेईमानी की है, गंगा में स्नान करके मुक्त कैसे हो जाएगा?
तो अब यहां दो बातें समझ लेनी जरूरी हैं। एक तो यह कि पाप असली घटना नहीं है, स्मृति असली घटना है–मेमोरी। पाप नहीं, ऐक्ट नहीं, असली घटना जो आप में चिपकी रह जाती है वह स्मृति है। आपने हत्या की है, यह उतना बड़ा सवाल नहीं है आखिर में। आपने हत्या की है, यह स्मृति कांटे की तरह पीछा करेगी।
जो जानते हैं, वे तो जानते हैं कि हत्या की है कि नहीं की है, वह नाटक का हिस्सा है, उसका कोई बहुत मूल्य नहीं है। न कोई मरता है कभी, न कभी मार सकता है कोई कभी। मगर यह स्मृति आपका पीछा करेगी कि मैंने हत्या की, मैंने चोरी की। यह पीछा करेगी, और यह पत्थर की तरह आपकी छाती पर पड़ी रहेगी। वह कृत्य तो गया, अनंत में खो गया। वह कृत्य तो अनंत ने सम्हाल लिया। सच तो यह है कि सब कृत्य अनंत के हैं; आप नाहक उसके लिए परेशान हैं। अगर चोरी भी हुई है आपसे तो भी अनंत के ही द्वारा आपसे हुई है। और हत्या भी हुई है तो भी अनंत के द्वारा आपसे हुई है। आप नाहक बीच में अपनी स्मृति लेकर खड़े हैं कि मैंने किया। अब यह मैंने किया और यह स्मृति आपकी छाती पर बोझ है।
तो क्राइस्ट कहते हैं, तुम कनफेस कर दो, मैं तुम्हें माफ किए देता हूं। और जो क्राइस्ट पर भरोसा करता है वह पवित्र होकर लौटेगा। असल में क्राइस्ट पाप से तो मुक्त नहीं कर सकते, लेकिन स्मृति से मुक्त कर सकते हैं। स्मृति ही असली सवाल है। गंगा पाप से मुक्त नहीं कर सकती, लेकिन स्मृति से मुक्त कर सकती है। अगर कोई भरोसा लेकर गया है कि गंगा में डुबकी लगाते ही से सारे पाप से बाहर हो जाऊंगा, और ऐसा अगर उसके चित्त में और कलेक्टिव अनकांशस में है उसके समाज के, करोड़ों वर्ष की धारणा है कि गंगा में डुबकी लगाने से पाप से छुटकारा हो जाता है। पाप से छुटकारा नहीं होगा, चोरी को अब कुछ और नहीं किया जा सकता, हत्या जो हो गई, हो गई। लेकिन यह व्यक्ति पानी के बाहर जब निकलेगा तो सिंबालिक ऐक्ट हो गया।
क्राइस्ट कितने दिन दुनिया में रहेंगे? कितने पापियों से मिलेंगे? कितने पापी कनफेस कर पाएंगे? इसलिए हिंदुओं ने ज्यादा स्थायी व्यवस्था खोजी है। व्यक्ति से नहीं बांधा, एक नदी से बांधा। वह नदी कनफेशन लेती रहेगी, वह नदी माफ करती रहेगी। और यह अनंत तक रहेगी, और यह धारा स्थायी हो जाएगी। क्राइस्ट कितने दिन रहेंगे?
मुश्किल से क्राइस्ट तीन साल काम कर पाए, कुल तीन साल। तीस से लेकर तैंतीस साल की उम्र तक, तीन साल में कितने पापी कनफेस करेंगे? कितने पापी उनके पास आएंगे? कितने लोगों के सिर पर हाथ रखेंगे? क्या होगा? इसलिए व्यक्ति से नहीं बांधा, अव्यक्ति धारा से बांध दिया।
तो तीर्थ है, वहां जाएगा कोई, वह मुक्त होकर लौटेगा। वह स्मृति से मुक्त होगा। स्मृति ही तो बंधन है। वह स्वप्न जो आपने देखा है, आपका पीछा कर रहा है। असली सवाल वही है, असली सवाल वही है। और निश्चित ही उससे छुटकारा हो सकता है। लेकिन उस छुटकारे में दो बातें जरूरी हैं। बड़ी बात तो यह जरूरी है कि आपकी ऐसी निष्ठा हो कि मुक्ति हो जाएगी। और आपकी निष्ठा कैसे होगी? आपकी निष्ठा तभी हो सकती है जब आपको ऐसा खयाल हो कि लाखों वर्ष से ऐसा वहां होता रहा है। और कोई उपाय नहीं है। यहां होता रहा है लाखों वर्ष से।”