ध्यान सूत्र:- एक महीने में आप ख़ुद को बदलकर देखो, इस बात की खोज करो कि तुम कितने-कितने समय पर झूठ होते हो “ओशो”
ओशो– मैं तुमसे यह कहना चहता हूं.एक महीने भर तक इस बात की खोज करो कि तुम कितने—कितने समय पर झूठ होते हो। रास्ते पर कोई मिलता, तुम कहते, ‘नमस्कार, बड़े दिनों में दर्शन हुए, बड़ी आंखें तरस गईं। ‘ और भीतर तुम कह रहे हो, ‘ये दुष्ट सुबह से कहां मिल गया, यह सारा दिन खराब न हो जाए! हम किस दुर्भाग्य के क्षण में इस रास्ते से निकल आए!’ तुम ऊपर से कह रहे हो कि मिल कर बड़ी खुशी हुई, और भीतर से तुम कह रहे हो, कैसे छुटकारा हो! तुम जरा जांचना। तुम सिर्फ एक महीना जांच करो। तुम मुस्कुरा रहे हो, जरा जांचना. ओंठ पर ही है या भीतर से जुड़ी है? तुम आंख में आंसू ले आए हो, जरा जांचना. आंख में आंसू झूठे तो नहीं हैं, प्राणों से निकलते हैं?तुम एक महीना सिर्फ जांच करो और तुम पाओगे तुम्हारी जिंदगी करीब—करीब निन्यानबे प्रतिशत झूठ है—और फिर तुम कहते हो, परमात्मा को खोजना है! परमात्मा तो केवल उन्हीं को मिलता है जिनका जीवन सौ प्रतिशत सच है। और सच होना अत्यंत कठिन है, तपश्चर्यापूर्ण है; क्योंकि जगह—जगह अड़चन होगी।
ओशो आश्रम उम्दा रोड भिलाई-३